ऑर्बिटल रेल परियोजना 1: खेकड़ा तथा बड़गावं में बनेगे स्टेशन

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ऑर्बिटल रेल परियोजना, जिसमें हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (HORC) और ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर शामिल हैं, भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में परिवहन और बुनियादी ढांचे के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह परियोजना दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों को एक आधुनिक, कुशल, और पर्यावरण-अनुकूल रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए डिज़ाइन की गई है।

इसका उद्देश्य दिल्ली में यातायात की भीड़ को कम करना, औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देना, और क्षेत्रीय विकास को गति देना है। इसके साथ साथ औद्योगिक और कृषि विकास के लिए मानेसर, सोहना, नोएडा, गाजियाबाद और बागपत जैसे औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को रेल लॉजिस्टिक्स से जोड़कर व्यापार और उत्पादकता बढ़ाना है। इस परियोजना से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ेगी जिसके अंतर्गत हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों को दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ना मुख्य है। जिससे आर्थिक प्रगति:, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे का विकास, और क्षेत्रीय निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

ऑर्बिटल रेल परियोजना दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में दो प्रमुख रेल कॉरिडोर विकसित करने की योजना है, जो दिल्ली को बाईपास करते हुए एनसीआर के उपनगरीय क्षेत्रों को जोड़ते हैं। ये कॉरिडोर हैं:

हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (HORC):

इसकी लंबाई: 126-144 किलोमीटर (मुख्य लाइन 126 किमी, कनेक्टिंग लाइनों सहित 144 किमी) है। यह मार्ग पलवल से सोनीपत, जो हरियाणा के पांच जिलों (पलवल, गुरुग्राम, नूंह, झज्जर, सोनीपत) से होकर गुजरता है। इसकी लागत: 5,618-5,700 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। यह भाग मार्च 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HRIDC) और भारतीय रेलवे इस पर मिलकर कार्य कर रहे हैं।

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर:

इस भाग की लंबाई: लगभग 135 किलोमीटर है। यह गाजियाबाद, बागपत, मेरठ, और गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) और हरियाणा के कुछ हिस्सों से होकर गुजरेगा। इसमें कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये का अनुमान है इसको पूरा करने का लक्ष्य 2030 तक निर्धारित किया गया है। इसके लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA), HRIDC, और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर कार्य कर रहे हैं।

हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (HORC) एक डबल ट्रैक, ब्रॉड गेज, पूरी तरह विद्युतीकृत (25 kV AC ट्रैक्शन) योजना है। जिस पर यात्री ट्रेनें: 160 किमी/घंटा तथा मालगाड़ियां: 100 किमी/घंटा की गति से चलाने की योजना है। इसमें अरावली पहाड़ियों में 4.7 किमी लंबी डबल सुरंग (25 मीटर ऊंची, 10 मीटर चौड़ी) बनाई जाएगी, जो डबल स्टैक कंटेनरों को सपोर्ट करती है। इसमें 135 बड़े और छोटे पुल होंगे, जिनमें यमुना नदी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर रेलवे ओवरब्रिज (ROB) शामिल हैं।

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर भी एक डबल ट्रैक, ब्रॉड गेज, पूरी तरह विद्युतीकृत (25 kV AC ट्रैक्शन) योजना है। इस पर भी यात्री ट्रेनें: 160 किमी/घंटा तथा मालगाड़ियां: 100 किमी/घंटा की गति से चलेंगी। इसमें यमुना और हिंडन नदियों पर बड़े पुल, 10 राष्ट्रीय राजमार्गों और 8 रेलवे लाइनों को पार करने के लिए ROB बनाये जाने है। इसकी फिजिबिलिटी स्टडी के लिए 1.5 करोड़ रुपये की लागत से सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है एवं DPR के 2025 के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है।

हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (HORC) कुल स्टेशन: 17 (15 यात्री/माल स्टेशन, 2 कनेक्टिंग स्टेशन)।
पलवल: न्यू पलवल, सिलानी।
गुरुग्राम: सोहना, मानेसर, न्यू पातली, पचगांव, चंदला डूंगरवास।
नूंह: धूलावट।
झज्जर: बाढ़सा, देवरखाना, बादली, मांडौठी, जसौर खेड़ी।
सोनीपत: खरखौदा, तुर्कपुर, हरसाना कलां।
पृथला: डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कनेक्शन।

ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर कुल स्टेशन: 18 (12 क्रॉसिंग स्टेशन, 6 हॉल्ट स्टेशन)।
गाजियाबाद: गाजियाबाद (दो प्लेटफॉर्म), मुरादनगर, डासना (हॉल्ट)।
बागपत: बागपत, खेकड़ा/बड़ौत (हॉल्ट)।
गौतम बुद्ध नगर: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दादरी, जेवर।

ऑर्बिटल रेल परियोजना, जिसमें हरियाणा और ईस्टर्न कॉरिडोर शामिल हैं, दोनों कॉरिडोर कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के समानांतर बनाये जायेंगे, जिससे सड़क और रेल नेटवर्क में तालमेल स्थापित करने की योजना है। यह परियोजना दिल्ली-एनसीआर के परिवहन, आर्थिक, और सामाजिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है। हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर से जहां दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-रोहतक, और दिल्ली-अंबाला रेल मार्गों के साथ साथ KMP एक्सप्रेसवे, NH-48, NH-44, और अन्य राजमार्गों से कनेक्टिविटी मिलेगी वही ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर से दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मेरठ, और दिल्ली-लखनऊ रेल मार्गके साथ साथ EPE, NH-709B, NH-24, NH-9, यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ना आसान होगा। इसके साथ दिल्ली-मेरठ RRTS, जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, तथा नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे औद्योगिक केंद्रों तक पहुंचना आसान हो जायेगा।

इसमें जहां HORC 2025 तक परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है, जो मानेसर, सोहना, और खरखौदा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ेगा। वही ईस्टर्न कॉरिडोर, जो 2030 तक पूरा होगा, नोएडा, गाजियाबाद, ट्रांस दिल्ली सिग्नेचर सिटी, बाग़पत और जेवर हवाई अड्डा जैसे क्षेत्रों को वैश्विक व्यापार से जोड़ेगा। तथ्यों और प्रगति के आधार पर, यह परियोजना यातायात राहत, औद्योगिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, और क्षेत्रीय समृद्धि का प्रतीक है। यह भारत को वैश्विक स्तर पर एक आधुनिक और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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